‘‘महर्षि महेश योगी प्रणीत भावातीत ध्यान का नियमित अभ्यास व्यक्ति और समाज की अनेकानेक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। भावातीत ध्यान की प्रक्रिया अत्यन्त सरल, सहज, स्वाभाविक और प्रयासरहित है। इसे किसी भी धर्म, आस्था, विश्वास, विचारधारा, पारिवारिक पृष्ठभूमि, जाति, लिंग के व्यक्ति एक बार सीखकर जीवनभर अभ्यास कर सकते हैं। भावातीत ध्यान आराम से कहीं भी बैठकर किया जा सकता है। ध्यान की यह विधि वेद एवं विज्ञान दोनों से प्रमाणित है। विश्व भर में 700 से अधिक वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा प्रमाणित यह एक मात्र ध्यान की पद्धति है जिसे 100 से भी अधिक देशों के नागरिकों ने सीखा है और चेतना की उच्च अवस्थाओं का अनुभव करके अनेकानेक लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इसका व्यक्तिगत अभ्यास व्यक्ति व उसके परिवार के लिये और समूह में अभ्यास पूरे समाज के लिये लाभ दायक है’’ यह विचार ब्रह्मचारी गिरीश जी ने अपने सम्बोधन में व्यक्ति किये।
ब्रह्मचारी जी ने आगे कहा कि ‘‘भावातीत ध्यान के लाभ अनेक हैं। भावातीत ध्यान के नियमित अभ्यास से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्णता आती है, बुद्धि तीक्ष्ण और समझदारी गहरी होती है, बहुमुखी समग्र चिन्तन करने की शक्ति बढ़ती है, स्मरण शक्ति बढ़ती है, दुर्बलता उत्तेजना और चिड़चिड़ापन दूर होता है, भावनात्मक संतुलन बढ़ता है, तंत्रिका-तंत्र को गहन विश्राम मिलने के कारण तनाव तथा थकावट दूर होती है, स्नायु मण्डल की शुद्धि होती है, साधक ‘स्व’ - अपनी आत्मा में स्थित होकर पूर्ण स्वस्थ हो जाता है, बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है जिससे व्यक्ति बीमार नहीं होता, धूम्रपान व मादक पदार्थों के नशे की आदत धीरे-धीरे स्वयं ही छूट जाती है, सहनशीलता बढ़ती है, सहयोग की भावना बढ़ती है, सहिष्णुता बढ़ती है, तनाव चिन्ताएं थकावट दूर रहते हैं, शारीरिक व मानसिक क्षमताओं का पूर्ण जागरण और विकास होता है, आपराधिक प्रवृत्तियाँ और नकारात्मकता का शमन होता है, सुख शाँति और असीम आनन्द की प्राप्ति होती है।’’ उल्लेखनीय है समस्त विश्व में भावातीत ध्यान को अनेक समस्याओं के एक समाधन के रूप में मान्यता मिली हुई है। भावातीत ध्यान को पाश्चात्य जगत में तनाव दूर करने वाली प्रमुख और सर्वाधिक प्रचलित ध्यान पद्धति के रूप में जाना जाता है। तनाव के कारण होने वाले अनेक रोगों जैसे मधुमेह, रक्तचाप, अनिद्रा, हृदय रोग आदि में लाभ के लिये बड़ी संख्या में मेडीकल डाॅक्टरस् भावातीत ध्यान की अनुशंसा करते हैं। अपराध कम करने और कारागारों में बंदियों के उत्थान और पुनर्वास के लिये न्यायाधीश भावातीत ध्यान की अनुशंसा करते हैं। हाल ही में एक शोध ने प्रमाणित किया है कि भावातीत ध्यान के अभ्यासकर्ताओं की आयु में वृद्धि होती है।
भावातीत ध्यान का प्रत्येक साधक अपने जीवन को धन्य मानता है। भावातीत ध्यान परम पूज्य महर्षि महेश योगी का सम्पूर्ण मानवता को एक अनुपम उपहार है।